कपालभाति प्राणायाम के फायदे जानें कैसे करता है शरीर को डिटॉक्स


सेहत/स्वाद 04 September 2025
post

कपालभाति प्राणायाम के फायदे जानें कैसे करता है शरीर को डिटॉक्स

कपालभाति प्राणायाम योग का एक बेहद लोकप्रिय और प्रभावी अभ्यास है। इसे श्वास क्रिया कहा जाता है, जिसमें तेज गति से सांस छोड़ने और हल्की सांस लेने पर जोर होता है। यह पेट की चर्बी घटाने, पाचन शक्ति सुधारने और मानसिक एकाग्रता बढ़ाने के लिए जाना जाता है।

लेकिन यह हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं है। अगर इसे बिना सही मार्गदर्शन या गलत परिस्थितियों में किया जाए तो इसके नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। आइए जानते हैं कपालभाति के फायदे और किन लोगों को इसे करने से बचना चाहिए|

कपालभाति प्राणायाम के प्रमुख फायदे: कपालभाति शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने, पेट की चर्बी कम करने और फेफड़ों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह तनाव कम करता है और दिमाग को शांति प्रदान करता है।

जिन लोगों को कब्ज़, गैस या अपच की समस्या है, उनके लिए यह बेहद फायदेमंद साबित होता है। नियमित अभ्यास से स्किन में निखार आता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। किन लोगों को कपालभाति नहीं करना चाहिए?

कपालभाति प्राणायाम के कई फायदे हैं लेकिन हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। जिन लोगों को दिल की बीमारी, उच्च रक्तचाप, हर्निया, स्ट्रोक या मिर्गी की समस्या है, उन्हें इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा गर्भवती महिलाएं और हाल ही में ऑपरेशन कराए मरीज भी इससे बचें। अगर किसी को लगातार चक्कर, सिर दर्द या माइग्रेन की समस्या है तो यह प्राणायाम उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है।

कपालभाति के अभ्यास के दौरान अक्सर लोग तेजी से और जोर लगाकर सांस छोड़ते हैं, जिससे पेट की मांसपेशियों और डायाफ्राम पर दबाव बढ़ जाता है। बिना योग शिक्षक के मार्गदर्शन के इसे करना खतरनाक हो सकता है।

बहुत देर तक लगातार अभ्यास करना, सही आसन में न बैठना या अभ्यास के तुरंत बाद भारी खाना खाना भी गलत है। कपालभाति के नुकसान: अगर इसे गलत तरीके से किया जाए तो चक्कर आना, सीने में दर्द, रक्तचाप बढ़ना, हर्निया की स्थिति बिगड़ना औरपेट में खिंचाव जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। कभी-कभी यह माइग्रेन को ट्रिगर करता है और आंखों में दबाव भी बढ़ा सकता है।

इसलिए इसे सीमित समय और सही तकनीक से ही करना चाहिए। सही तरीके से कब और कैसे करें कपालभाति: कपालभाति सुबह खाली पेट या भोजन के तीन-चार घंटे बाद करना सबसे लाभकारी है।

शुरुआत में एक-दो मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे पांच मिनट तक बढ़ाएं। रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए आराम से बैठें और तेज़ी से साँस बाहर छोड़ें। इसे केवल प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए, ताकि फायदे मिलें और नुकसान से बचा जा सके।













You might also like!


RAIPUR WEATHER