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1 अक्टूबर: निःस्वार्थ सेवा का दिन


देश 01 October 2025
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1 अक्टूबर: निःस्वार्थ सेवा का दिन

भारत में हर वर्ष 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य उन स्वैच्छिक रक्तदाताओं को सम्मानित करना है, जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों की जान बचाने के लिए आगे आते हैं। इसके साथ ही यह दिन आम लोगों को रक्तदान के महत्व के प्रति जागरूक करने का एक माध्यम भी है।


इस दिवस की शुरुआत 1975 में हुई थी, जब भारतीय रक्त आधान एवं प्रतिरक्षा रक्ताधान विज्ञान सोसायटी और रक्तदान से जुड़ी संस्थाओं ने मिलकर इस अभियान की नींव रखी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में सुरक्षित रक्त की उपलब्धता को सुनिश्चित करना और लोगों को नियमित रूप से स्वेच्छा से रक्तदान के लिए प्रेरित करना है।


हर साल भारत में लाखों लोगों को विभिन्न कारणों से रक्त की आवश्यकता होती है। सड़क दुर्घटनाएं, ऑपरेशन, प्रसव के दौरान रक्तस्राव, कैंसर, एनीमिया और थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए समय पर रक्त न मिलने से कई जानें चली जाती हैं। ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाता किसी मसीहा की तरह सामने आते हैं, जो दूसरों के जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।


रक्तदान न सिर्फ जरूरतमंद को जीवनदान देता है, बल्कि रक्तदाता के लिए भी लाभकारी होता है। इससे शरीर में आयरन का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे हृदय रोगों की संभावना कम होती है। रक्तदान के बाद शरीर में नई रक्त कोशिकाएं बनती हैं, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। एक बार रक्तदान करने से लगभग 650 कैलोरी बर्न होती हैं, जिससे वजन प्रबंधन में भी मदद मिलती है। साथ ही रक्तदान से पहले रक्तदाता की मुफ्त स्वास्थ्य जांच होती है, जिसमें रक्तचाप, हीमोग्लोबिन, एचआईवी, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों की जांच शामिल होती है।


रक्तदान के लिए कुछ जरूरी शारीरिक और स्वास्थ्य मानदंड तय किए गए हैं, ताकि यह प्रक्रिया रक्तदाता और रक्त प्राप्तकर्ता दोनों के लिए सुरक्षित बनी रहे। रक्तदाता की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए और उसका वजन कम से कम 50 किलोग्राम होना आवश्यक है। हीमोग्लोबिन स्तर कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसिलीटर होना चाहिए ताकि रक्तदान के बाद कमजोरी या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का खतरा न हो। साथ ही रक्तचाप सामान्य सीमा में होना चाहिए।


यदि किसी व्यक्ति को एचआईवी, हेपेटाइटिस, कैंसर या कोई अन्य गंभीर संक्रमण या दीर्घकालिक बीमारी है, तो वह रक्तदान के लिए अयोग्य माना जाता है। इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी रक्तदान नहीं कर सकतीं।


अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए कृपया योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

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